अतः यदि हम वर्तमान समय पर नजर डालें तो विवाहेतर संबंधों के उदाहरण कम नहीं हैं। पुरुष और महिलाएं अपनी पत्नियों या पतियों की मौजूदगी में अन्य लोगों के साथ संबंध बना रहे हैं। जो कि कलियुग का एक विशेष लक्षण है।
लेकिन जो लोग अपने स्वार्थ के लिए ऐसा करते हैं, उन्हें तदनुसार दंडित किया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो व्यक्ति ऐसा करते हैं, उन्हें मृत्यु के समय नारकीय यातनाएं झेलनी पड़ती हैं। मृत्यु के बाद भी उनकी आत्मा को शांति नहीं मिलती।
इसलिए जीवन में सदाचार और धार्मिक मर्यादा का पालन करना अत्यंत आवश्यक है, जिससे हम न केवल इस जीवन में बल्कि मृत्यु के बाद भी आध्यात्मिक शांति प्राप्त कर सकें।