शादीशुदा स्त्रियाँ क्यों लगाती हैं सिंदूर? सबसे पहले सिंदूर किसने लगाया था? जानिए मूल कारण

Kumar Sahu's avatar
Who applied sindoor for the first time?

सिंदूर हर हिंदू विवाहित महिला की पहचान है। सिंदूर को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है और ये विवाहित महिला की शक्ति और समर्पण का भी प्रतीक है। यही वजह है कि हर हिंदू महिला विवाह के बाद मांग में सिंदूर भरती है। कई हिंदू धर्म शास्त्रों में सिंदूर लगाने के महत्व के बारे में बताया भी गया है। ऐसे में आज हम आपको बताने वाले हैं कि सिंदूर लगाने की परंपरा कब से शुरू हुई थी और सबसे पहले सिंदूर किसने लगाया था।

धर्म शास्त्रों में सिंदूर का महत्व क्या है?

वैदिक काल में भी स्त्रियां अपनी मांग में सिंदूर लगाती थीं, इस बात के साक्ष्य हमको ऋग्वेद और अथर्ववेद में मिलते हैं। वेदों में बताया गया है कि विवाहित स्त्रियां अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए सिंदूर लगाती थीं। वैदिक काल के दौरान सिंदूर को कुंकुम कहा जाता था। सिंदूर को वैदिक काल में पंच-सौभाग्य में शामिल किया गया था।

सिंदूर सबसे पहले किसने लगाया?

शिव पुराण में वर्णन मिलता है कि माता पार्वती ने वर्षों तक शिव जी को वर के रूप में प्राप्त करने के लिए तपस्या की थी। जब भगवान शिव ने मां पार्वती को अपनी अर्धांगिनी के रूप में स्वीकार कर लिया तो मां पार्वती ने सुहाग के प्रतीक के रूप में सिंदूर मांग में लगाया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि जो स्त्री सिंदूर लगाएगी उसकी पति को सौभाग्य और लंबी आयु की प्राप्ति होगी। धार्मिक मतों के अनुसार सबसे पहले माता पार्वती ने ही सिंदूर लगाया था और तभी से ये परंपरा चल पड़ी।

यह भी पढ़े:  Ranbir Kapoor Outshines Rishi Kapoor? Govind Namdev’s Heartfelt Comparison Will Leave You Surprised!

त्रैता और द्वापर युग में भी महिलाएं लगाती थीं सिंदूर

रामायण कालीन एक कथा है कि एक बार हनुमान जी ने माता सीता को सिंदूर लगाते देख लिया। इसके बाद जिज्ञासावश हनुमान जी ने माता सीता से पूछा कि आप सिंदूर क्यों लगाती हैं। सीता जी बोलीं की राम जी की दीर्घायु और सुख के लिए। यह सुनकर रामभक्त हनुमान जी ने अपने पूरे शरीर पर सिंदूर लगा लिया था, ताकि उनके प्रभु को लंबी आयु और सुख प्राप्त हो। इसलिए आज भी हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाया जाता है। यानि त्रेता युग में भी सिंदूर का प्रचलन था। इसके साथ ही द्वापर युग में द्रौपदी के सिंदूर लगाने का वर्णन स्कंद पुराण में मिलता है।

Author Name

Join WhatsApp

Join Now