पुराणों और शास्त्रों के अनुसार गाय के अंगों में देवताओं का वास बताया गया है।
गाय के अंगों में देवताओं का वास:
- मुख (मुख) — सरस्वती: ज्ञान की देवी सरस्वती का वास गाय के मुख में माना गया है।
- कंठ (गला) — शिव: भगवान शिव गाय के कंठ में वास करते हैं।
- पृष्ठ (पीठ) — ब्रह्मा: सृष्टिकर्ता ब्रह्मा का वास गाय की पीठ में है।
- रोम-रोम — सभी देवगण: गाय के रोम-रोम में समस्त देवताओं का वास है।
- नेत्र — सूर्य और चंद्रमा: एक नेत्र में सूर्य और दूसरे में चंद्रमा का वास है।
- ललाट — इंद्र: इंद्र देव का वास गाय के ललाट (माथे) में माना गया है।
- सींग — वसु: वसु देवताओं का वास गाय के सींगों में बताया गया है।
- कान — अश्विनीकुमार: आयुर्वेद और स्वास्थ्य के देवता अश्विनीकुमार गाय के कानों में वास करते हैं।
- पाँव — पृथ्वी देवी: गाय के पैरों में पृथ्वी देवी का वास माना जाता है।
- पुच्छ (पूंछ) — शेषनाग: गाय की पूंछ में शेषनाग का वास है।
- हृदय — विष्णु: भगवान विष्णु का वास गाय के हृदय में होता है।
यह मान्यता “गोवत्स द्वादशी”, “गोपूजन” जैसे पर्वों में विशेष रूप से स्मरण की जाती है। इससे गाय की धार्मिक महत्ता और उसके संरक्षण का भाव भी जुड़ा हुआ है।