Nimisha Priya Sentenced To Death In Yemen: यमन में मौत की सजा काट रही भारतीय नर्स निमिशा प्रिया को 7 दिन बाद मिलेगी फांसी

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Nimisha Priya Sentenced To Death In Yemen, निमिशा प्रिया को 7 दिन बाद मिलेगी फांसी

Nimisha Priya Sentenced To Death In Yemen, निमिशा प्रिया को 7 दिन बाद मिलेगी फांसी: भारत के केरल राज्य के पलक्कड़ जिले की रहने वाली निमिषा प्रिया, एक गरीब परिवार से बिलोंग करती है. उनके माता-पिता ने मजदूरी करके उन्हें नर्सिंग की पढ़ाई पूरी की और 2011 में वो यमन में नौकरी के लिए गईं. लेकिन यमन पुलिस ने निमिषा प्रिया को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है.

निमिषा पर क्या हैं आरोप:

यमन में नर्स के तौर पर निमिषा प्रिया काम करना शुरू किया. उनके काम में सफलता के बाद उन्होंने 2015 में एक निजी मेडिकल क्लिनिक खोला. इस क्लिनिक को खोलने में उनकी मदद एक यमनी नागरिक तालाल अब्दो महदी ने की जो उनके क्लिनिक का स्थानीय स्पॉन्सर था. हालांकि यह सफलता ज्यादा दिन तक टिक नहीं पाई. तलाल अब्दो मेहदी की हत्या के मामले में दोषी ठहराई गई भारतीय नर्स निमिशा प्रिया को 16 जुलाई को फांसी दी जाएगी.

तालाल अब्दो महदी करता था अत्याचार:

निमिषा प्रिया की जिंदगी यमन में बेहद कठिन हो गई थी. तालाल अब्दो महदी ने उनके साथ धोखाधड़ी करते हुए कथित तौर पर खुद को जाली दस्तावेजों के जरिए उनका पति घोषित कर दिया. इसके बाद वह उसका पासपोर्ट जब्त कर लिया. शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न करने लगा. धमकी देने और पैसे ऐंठने लगा. इस भयावह दौर में निमिषा न केवल सहमी हुई जिंदगी जी रही थीं, बल्कि उन्होंने बार-बार भारत लौटने की कोशिश की, लेकिन बिना पासपोर्ट के वह ऐसा नहीं कर सकीं. 2017 में उन्होंने तालाल से बचने और यमन से भागने की योजना बनाई. योजना के अनुसार, वह तालाल को बेहोश करके पासपोर्ट लेना चाहती थीं, लेकिन दवा की अधिक मात्रा के कारण तालाल की मृत्यु हो गई. यह दुर्भाग्यपूर्ण हादसा ही उनकी वर्तमान स्थिति का कारण बन गया.

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ट्रायल कोर्ट ने दी थी मौत की सजा:

यमन की एक ट्रायल कोर्ट ने उसे मौत की सजा सुनाई और सुप्रीम कोर्ट ने उसे बरकरार रखा. पिछले साल यमन के राष्ट्रपति रशद अल-अलीमी ने 38 वर्षीय महिला की मौत की सजा को मंजूरी दी थी। यह आदेश इस साल जनवरी से ही अभियोक्ता के पास है. तब से, उसकी किस्मत अधर में लटकी हुई है, जो तलाल के परिवार की माफी पर निर्भर है.

भारत सरकार और मानवाधिकार संगठनों की सक्रियता

भारत सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है. विदेश मंत्रालय ने यमन सरकार से संपर्क किया है और कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से निमिषा की सजा को रोकने या कम करने की कोशिश की जा रही है. इसके साथ ही कई मानवाधिकार संगठन, विशेष रूप से भारत और खाड़ी देशों में काम करने वाले प्रवासी संगठनों ने भी आवाज उठाई है. कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं का मानना है कि निमिषा पूर्व-निर्धारित हत्या की दोषी नहीं हैं. उनके साथ घरेलू हिंसा और मानसिक प्रताड़ना हुई. यह मामला आत्मरक्षा की श्रेणी में आता है. भारत सरकार द्वारा दया याचिका और क्षमादान की मांग की जा रही है, ताकि यमन की सरकार मानवीय आधार पर इस मामले पर दोबारा विचार करे.

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