Minimum Balance: इन 4 सरकारी बैंकों ने लिया बड़ा फैसला, अब बैंक अकाउंट में मिनिमम बैलेंस पर नहीं लगेगा जुर्माना

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Minimum Balance, मिनिमम बैलेंस

Minimum Balance, मिनिमम बैलेंस: भारतीय बैंकिंग जगत में एक ऐतिहासिक बदलाव आया है। देश के चार प्रमुख बैंकों ने अपने बचत खाता धारकों के लिए एक बड़ा नियम लागू किया है। इन बैंकों ने अब सेविंग्स अकाउंट में न्यूनतम बैलेंस न रखने पर नहीं लेंगे जुर्माना। यह निर्णय उन करोड़ों लोगों के लिए एक वरदान साबित हो सकता है जो अपने खाते में न्यूनतम राशि बनाए रखने की समस्या से जूझते रहते हैं।

मिनिमम बैलेंस का क्या मतलब है?

AMB वह न्यूनतम राशि होती है जो ग्राहक को अपने बैंक खाते में एक महीने के दौरान औसतन बनाए रखनी होती है। अगर खाते में बैलेंस इस निर्धारित राशि से कम हो जाता है तो बैंक ग्राहक पर जुर्माना लगाते हैं। यह जुर्माना बैंक और खाते के प्रकार के आधार पर अलग-अलग होता है। अब इन चार बैंकों ने यह शर्त हटाकर ग्राहकों को काफी राहत दी है।

पंजाब नेशनल बैंक का नियम:

PNB ने एक आधिकारिक बयान जारी कर बताया है कि यह बदलाव ग्राहकों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। यह नया नियम 1 जुलाई, 2025 से लागू हो गया है। बैंक का मानना है कि इस कदम से उन परिवारों को विशेष लाभ मिलेगा जिनकी आय कम है साथ ही महिला खाताधारक और किसान भी इसका फायदा उठा पाएंगे। अब उन्हें खाते में कम बैलेंस होने पर जुर्माने की चिंता नहीं करनी पड़ेगी

बंधन बैंक का नियम:

बंधन बैंक ने भी अब मिनिमम बैलेंस न रखने पर लगने वाली पेनल्टी को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। यदि आपका बचत खाता बंधन बैंक में है और आप किसी महीने में अपने खाते में न्यूनतम निर्धारित बैलेंस बनाए रखने में असमर्थ रहते हैं, तो अब आप पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा। बंधन बैंक का यह नया नियम 7 जुलाई, 2025 से प्रभावी हो गया है। यह निर्णय बैंक के ग्राहकों के लिए वित्तीय बोझ कम करने में मददगार होगा।

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केनरा बैंक का नियम:

वहीं केनरा बैंक ने भी मई 2025 में सभी तरह के बचत खातों के लिए औसत मासिक बैलेंस की शर्त को समाप्त कर दिया था। इसमें रेगुलर सेविंग अकाउंट, सैलरी अकाउंट और एमआरआई सेविंग अकाउंट जैसे सभी प्रकार के बचत खाते शामिल हैं, जिससे ग्राहकों को बड़ी राहत मिली है।

SBI बैंक पहले ही कर चुके हैं यह बदलाव:

SBI ने तो साल 2020 से ही सभी बचत खातों में न्यूनतम बैलेंस रखने की अनिवार्यता को पूरी तरह से खत्म कर दिया था।

ग्राहकों को होने वाले फायदे:

इस नई नीति से ग्राहकों को अनेक लाभ होंगे। सबसे बड़ा फायदा यह है कि अब किसी भी प्रकार की पेनल्टी का डर नहीं रहेगा। छात्र और बेरोजगार व्यक्ति अब बिना किसी चिंता के अपना खाता संचालित कर सकेंगे। घरेलू महिलाएं जिनकी आय अनिश्चित होती है, वे भी आसानी से बैंकिंग सेवाओं का उपयोग कर सकेंगी। ग्रामीण क्षेत्रों के छोटे व्यापारी और किसान जिनकी आय मौसमी होती है, उन्हें भी इससे बड़ी राहत मिलेगी।

समाज पर सकारात्मक प्रभाव:

यह निर्णय समाज के सभी वर्गों पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा। निम्न आय वर्गीय परिवार अब बिना किसी डर के बैंकिंग सेवाओं का उपयोग कर सकेंगे। यह कदम वित्तीय समावेश को बढ़ावा देगा और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों को मुख्यधारा की बैंकिंग प्रणाली से जोड़ेगा। इससे पूरे समाज की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।

 

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