Mahabharat: महाभारत काल में, द्रुपद कन्या द्रौपदी का विवाह पांच पुरुषों से हुआ था। पांच पुरुषों से संबंध रखने के बावजूद द्रौपदी को माता सीता की तरह एक पवित्र महिला कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि द्रौपदी पांच पुरुषों की विवाहित पत्नी थी। द्रौपदी ने अपने पांचों पतियों के अलावा कभी किसी अन्य के प्रति स्नेह प्रकट नहीं किया।
द्रौपदी पांच पतियों की पत्नी थी, इसलिए आपसी सहमति से नियम बनाए गए जिसके अनुसार द्रौपदी और पांचों पांडव भाई रहते थे। इस नियम के अनुसार द्रौपदी किसी भी पांडव पति के साथ प्रेम संबंध रख सकती थी। ये नियम द्रौपदी और पांचों पांडवों के बीच आपसी सहमति से बनाए गए थे।
क्या थे वो नियम:
द्रौपदी एक विशेष व्यवस्था के तहत अपने पांचों पतियों के साथ रहती थी। वह प्रत्येक पांडव के साथ एक वर्ष तक उनकी पत्नी के रूप में रही। इस दौरान किसी अन्य पांडव को उसके कक्ष में प्रवेश की अनुमति नहीं थी। इस व्यवस्था के कारण पांडवों में कोई मतभेद नहीं हुआ।
द्रौपदी एक समय में केवल एक ही पति के साथ रहती थी। इसके अतिरिक्त, द्रौपदी पांचों पांडवों की तुलना एक दूसरे से नहीं कर रही थी। द्रौपदी के लिए नियम था कि वह एक पति की दूसरे पति से चर्चा नहीं कर सकती थी, न ही उनकी तुलना कर सकती थी।
द्रोपदी के कितने संतान थे?
द्रौपदी के पांचों पांडव भाइयों से पांच पुत्र हुए। युधिष्ठिर के पुत्र प्रतिविंध्य, भीम के पुत्र सुतसोम, अर्जुन के पुत्र श्रुतकीर्ति, नकुल के पुत्र श्रुतसेन, सहदेव के पुत्र शतानीक थे।