Jagannath Temple: जगन्नाथ मंदिर भारत के ओडिशा राज्य के तटवर्ती शहर पुरी में स्थित है, जो भगवान जगन्नाथ यानी श्रीकृष्ण को समर्पित है. श्रीकृष्ण भगवान की इस नगरी को जगन्नाथपुरी कहा जाता है. यह मंदिर हिंदुओं के चार धामों में से एक है. यह मंदिर अपने आप में कई मान्यताओं और रहस्यों के लिए जाना जाता है. आज भी इस मंदिर में ऐसे कई चमत्कार होते हैं जिनका जवाब विज्ञान के पास भी नहीं मिलता है. ऐसा ही एक रहस्य है इस मंदिर की सीढ़ियों को लेकर जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे.
रहस्यमयी हैं जगन्नाथपुरी की सीढ़ियां:
पुराणों के अनुसार जगन्नाथ को धरती का स्वर्ग यानी बैकुंठ धाम माना जाता है. जगन्नाथ मंदिर में भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण, भाई बलराम और बहन सुभद्रा विराजमान हैं. जगन्नाथ मंदिर को लेकर ऐसा कहा जाता है कि यहां भगवान जगन्नाथ के दर्शन से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और सभी पाप धुल जाते हैं. वैसे तो हर मंदिर के अपने-अपने रहस्य होते हैं, लेकिन आपने जगन्नाथ मंदिर की तीसरी सीढ़ी से जुड़े रहस्य के बारे में सुना नहीं होगा. आइए इस मंदिर की रहस्यमयी सीढ़ियों के बारे में जानने की कोशिश करते हैं.
जगन्नाथ मंदिर की बाईस सीढ़ियाँ का रहस्य:
दृश्य-01
ब्रह्म ज्ञानी साधक के अनुसार, 21 दिनों के बाद ब्रह्म को दारू मूर्ति में स्थापित किया जाता है, इसलिए ब्रह्म के दर्शन के लिए 21 सीढ़ियाँ पार करनी पड़ती हैं. तो 22 सीढ़ियाँ इसका प्रतिनिधित्व करती हैं.
दृश्य-02
जगन्नाथ संस्कृति में 18 पुराण और 4 वेद हैं इसलिए पुराणों और वेदों का प्रतिनिधित्व करने के लिए 22 सीढ़ियाँ बनाई गई हैं.
दृश्य-03
कुछ अन्य विद्वानों ने अपनी राय दी कि 22 सीढ़ियाँ 14 भुवन (07 लोक और 07 पाताल) और 08 बैकुंठ का प्रतिनिधित्व करती हैं.
दृश्य-04
महेंद्र गिरि पर्वत पर स्थित दारुब्रह्म शिखर में 22 सीढ़ियाँ हैं जहाँ से चोल वंश के दौरान कुछ सबरा (जरा सबर जाति) जाति के लोग पुरी आए थे. इसके अनुसार श्रीमंदिर में 22 सीढ़ियाँ बनी हैं.
दृश्य-05
जैन धर्म का मानना है कि 22 सीढ़ियाँ उनके 22 तीर्थंकरों का प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व हैं. इसलिए जब वे सिंह द्वार से श्रीमंदिर में प्रवेश करते हैं, तो वे प्रत्येक सीढ़ी को छूते हैं और फिर अपने तीर्थंकरों के प्रति सम्मान के रूप में अपने सिर को छूते है.
दृश्य-06
कुछ अन्य शोधकर्ताओं ने अपना विचार दिया कि ये 22 चरण पंच मंत्र, पंच भूत, पंच बीज, पंच देव, जीव और परमा का प्रतिनिधित्व करते हैं.
दृश्य-07
कुछ पुराणों और उपनिषदों के अनुसार, ये 22 सीढ़ियाँ मनुष्य की 25 में से 22 आदतों (परा प्रकृति) को दर्शाती हैं (3 अपरा प्रकृति हैं). प्रत्येक चरण मनुष्य की एक आदत (प्रकृति) द्वारा दर्शाया गया है.
तीसरी सीढ़ी पर पैर रखने की है मनाही:
एक पौराणिक कथा के अनुसार, ऐसा कहा जाता है कि भगवान जगन्नाथ से मिलने के बाद लोग पाप से मुक्त होने लगे. तब यह देखकर यमराज भगवान जगन्नाथ के पास गए और बोले, “हे भगवान, आपने पाप से मुक्ति पाने के लिए यह सरल उपाय बताया है. आपके दर्शन मात्र से लोगों के पाप आसानी से मुक्त होते हैं और कोई भी यमलोक नहीं आता है.” यमराज जी की बात सुनकर भगवान जगन्नाथ ने कहा कि आप मंदिर के मुख्य द्वार पर तीसरी सीढ़ी पर अपना स्थान ग्रहण करें, जिसे यम शिला कहा जाएगा. जो कोई भी मेरे दर्शन करने के बाद उस पर पैर रखेगा उसके सारे पुण्य धुल जाएंगे और उसे यमलोक जाना पड़ेगा.
जगन्नाथ मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करते समय नीचे से तीसरी सीढ़ी पर यमशिला उपस्थित है. दर्शन के लिए मंदिर में प्रवेश करते समय पैर सीढ़ियों पर रखने होंगे, लेकिन दर्शन के बाद लौटते समय उस सीढ़ी पर पैर नहीं रखने की सलाह दी जाती है. इस सीढ़ी की पहचान की बात करें तो इसका रंग काला है और जो कि बाकी सीढ़ियों से बिल्कुल अलग रंग की है. जगन्नाथपुरी मंदिर में कुल 22 सीढ़ियां हैं, जिसमें दर्शन करने के बाद नीचे से शुरुआत की तीसरी सीढ़ी का ध्यान रखना है और उस पर आपके अपने पैर नहीं रखना चाहिए, वरना दर्शन के सभी पुण्य शून्य हो जाएंगे.