Election Commission of India vs Rahul Gandhi, चुनाव आयोग बनाम राहुल गांधी: बिहार में चुनाव आयोग ने वोटर लिस्ट की समीक्षा के लिए विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान चलाया. इसको लेकर अपोजीशन पार्टियां आयोग पर लगातार वोट चोरी का आरोप लगा रही हैं. खासतौर पर राहुल गांधी चुनाव आयोग पर हमला किया हे.
राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर लगाया गंभीर आरोप:
7 अगस्त को राहुल गाँधी वोटर लिस्ट में गड़बड़ी को लेकर लोकसभा में एक घंटे से ज्यादा का प्रेजेंटेशन दिया. उन्होंने दावा किया कि लोकसभा चुनावों के साथ-साथ महाराष्ट्र और हरियाणा के विधानसभा चुनावों में ‘वोटर लिस्ट में बड़े पैमाने पर घोटाला की गई है.
चुनाव आयोग ने राहुल गाँधी को दिया करारा जवाब:
चुनाव आयोग ने अपने आधिकारिक जवाब में कहा कि मतदाता सूचियां कानून का सख्ती से पालन करते हुए तैयार की जाती हैं. किसी भी सुधार, नाम हटाने या जोड़ने के लिए मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के तहत निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन होता है. आयोग ने कहा कि कोई भी व्यक्ति उचित प्रक्रिया और ठोस सुबूतों के बिना मतदाता सूची से मनमाने ढंग से नाम नहीं हटा सकता. बयान में स्पष्ट किया गया है कि चुनाव पंजीकरण अधिकारी मीडिया रिपोर्टों के आधार पर पूछताछ शुरू कर सकते हैं, लेकिन वे केवल प्रिंट, टेलीविजन या इंटरनेट मीडिया में लगाए गए आरोपों के आधार पर बड़े पैमाने पर नोटिस जारी नहीं कर सकते.
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को दी चुनौती:
आयोग ने सार्वजनिक रूप से आरोप लगाने वालों को अपने दावे औपचारिक रूप से हस्ताक्षरित घोषणापत्र के साथ प्रस्तुत करने की चुनौती दी. कहा कि यह कानूनी सुरक्षा मतदाताओं को राजनीतिक रूप से प्रेरित हस्तक्षेप से बचाती है. चुनाव आयोग प्रत्येक पात्र मतदाता के साथ था, है और हमेशा खड़ा रहेगा.
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को ‘गुमराह’ करने वाला बताया है. आयोग का कहना है कि अगर राहुल गांधी वोट चोरी के अपने दावे को सही मानते हैं तो उन्हें शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कर देना चाहिए और अगर वे ऐसा नहीं कर सकते तो उन्हें देश से माफी मांगनी चाहिए.