हम सभी जानते हैं कि नींद हमारे लिए कितनी महत्वपूर्ण है। अगर हम सोएंगे नहीं तो हम पूरे दिन ऊर्जा से भरपूर नहीं रह पाएंगे। और हम यह भी जानते हैं कि अगर कोई हमारी नींद में खलल डालता है तो हमें कितना गुस्सा आता है। इसी तरह हमें किसी की नींद में खलल नहीं डालनी चाहिए और ये सिर्फ हम नहीं कह रहे हैं, ये बात आचार्य चाणक्य की नीति में भी कही गई है।
किसे नींद से नहीं जगाना चाहिए?
आचार्य चाणक्य की नीति में एक श्लोक है, “अहिं परशवनं च ओमुला च सप्त सुप्ताना न बोधयेत।” इस कहावत को सरल भाषा में समझाते हुए आचार्य चाणक्य ने कहा कि सांप, राजा, बाघ, सुअर, छोटे बच्चे, दूसरे के कुत्ते और मूर्ख व्यक्ति को सोते हुए नहीं जगाना चाहिए।
उन्हें क्यों नहीं जगाना चाहिए, इस पर आचार्य लिखते हैं कि यदि आप सोते हुए सांप को जगाएंगे तो वह काटेगा ही।
इसी प्रकार, यदि आप किसी सोये हुए राजा को जगा देंगे तो वह क्रोधित हो जाएगा और आपकी हत्या का आदेश दे देगा।
बाघ जैसे जंगली जानवरों को जगाने के परिणाम सभी जानते हैं।
यदि आप सोते हुए बच्चे को जगाएंगे तो वह रोएगा और आपके लिए परेशानी खड़ी करेगा।
इसी प्रकार किसी दूसरे के कुत्ते या मूर्ख व्यक्ति को भी नहीं जगाना चाहिए। उनके लिए सोते रहना बेहतर है।