30 Days Jail And Loss Of Position: पीएम-सीएम 30 दिन जेल में रहे तो जाएगी कुर्सी….

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30 Days Jail And Loss Of Position, 30 दिन जेल में रहे तो जाएगी पद

30 Days Jail And Loss Of Position, 30 दिन जेल में रहे तो जाएगी पद: नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा एक नए विधेयक संसद में पेश की गई है। इस विधेयक की उद्देश्य प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और मंत्रियों को गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार होने पर पद से हटाना है, वर्तमान कानूनों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है। देश में राजनीतिक भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए न जाने कितने बहस होते हैं, समाचारपत्रों-पत्रिकाओं में असंख्य लेख लिखी जाती हे। इसी कमी को दूर करने के लिए सरकार ने ये तीन विधेयक तैयार किए हैं। लेकिन बहुतों को यह पच नहीं रहा।

इस विधेयक का उद्देश्य वही है जिसकी मांग लंबे समय थी कि अगर प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, किसी राज्य के मुख्यमंत्री या केंद्र शासित प्रदेश के मंत्री को गंभीर आपराधिक मामलों में गिरफ्तार किया जाता है तो उन्हें उनके पद से हटाया जा सके। मौजूदा कानूनों में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।

तीन विधेयक:

सरकार ने तीन विधेयक लोकसभा में पेश किए हैं – केंद्रशासित क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक 2025, 130वां संविधान संशोधन विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025। अभी केंद्र शासित प्रदेशों में गवर्नमेंट ऑफ यूनियन टेरिटरीज एक्ट 1963 में गंभीर आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार और हिरासत में लिए गए मुख्यमंत्री या मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए इसकी धारा 45 में संशोधन की आवश्यकता है। इसी तरह संविधान में भी आपराधिक आरोपों में गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए किसी मंत्री को हटाने का प्रावधान नहीं है। इसलिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन की जरूरत है। चूंकि जम्मू और कश्मीर में भी प्रावधान नहीं है, इसलिए जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 54 में संशोधन किया जाएगा।

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तीस दिन की समय-सीमा:

किसी निष्कर्ष पर पहुंचने के पहले संशोधन प्रस्तावों को भी सरसरी तौर पर देखना होगा। अनुच्छेद 75 (केंद्र सरकार – प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल) प्रावधान के अनुसार, यदि कोई मंत्री लगातार 30 दिनों तक गंभीर अपराध (5 वर्ष या उससे अधिक की सजा वाले अपराध) के आरोप में जेल में है, तो प्रधानमंत्री की सलाह पर राष्ट्रपति उसे पद से हटा देंगे। यदि प्रधानमंत्री सलाह नहीं देते तो भी 31वें दिन के बाद वह मंत्री अपने आप पद से हटा हुआ माना जाएगा। यदि प्रधानमंत्री स्वयं 30 दिन तक ऐसे आरोप में जेल में हैं, तो उन्हें 31वें दिन तक त्यागपत्र देना होगा। यदि नहीं देते, तो उनका पद स्वतः समाप्त हो जाएगा। यही बात मुख्यमंत्री के साथ है।

विपक्ष को किस बात का है डर:

कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि BJP सरकार विपक्षी दलों के मुख्यमंत्रियों को निशाना बनाना चाहती है। कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी के मुताबिक, सरकार की योजना है कि केंद्र की एजेंसियों से विपक्षी नेताओं को मनमाने ढंग से गिरफ्तार कराया जाए और फिर नए कानून के तहत उन्हें पद से हटा दिया जाए।

हालांकि, सरकार इस आशंका को खारिज करती है। उसका कहना है कि गिरफ्तारी से पहले नोटिस दिया जाता है। पूछताछ के लिए बुलाया जाता है और ऐसे किसी भी चरण में संबंधित व्यक्ति अदालत जा सकता है। वहां से वह नोटिस पर स्टे ले सकता है या फिर अग्रिम जमानत भी। ऐसे में यह आशंका बेबुनियाद है कि जांच एजेंसियां अपनी मनमानी कर सकती हैं।

फिलहाल, यह बताना आवश्यक है कि यह एक संविधान संशोधन विधेयक है और इसे पारित करने के लिए दो तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है जो कि सरकार के पास नहीं है। यानी बिना विपक्ष के सहयोग के यह बिल पारित नहीं हो सकता है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या बिल पक्ष – विपक्ष के बीच राजनीतिक तकरार के साथ साथ नैतिकता की बहस का भी एक बड़ा मुद्दा बनेगा।

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